भारत की चुनाव प्रणाली वर्षों से मैन्युअल वोटिंग पर आधारित रही है। लेकिन बिहार चुनाव 2025 में ई-वोटिंग (Electronic Voting) की शुरुआत ने एक नई बहस को जन्म दे दिया है। क्या यह तकनीक पारदर्शिता और सुविधा को बढ़ाएगी या फिर चुनावी प्रक्रिया को और जटिल बनाएगी?
बिहार पहला ऐसा राज्य बन गया है जहाँ सीमित स्तर पर ई-वोटिंग की प्रयोगात्मक शुरुआत हुई। इस प्रक्रिया को लेकर मतदाताओं, विशेषज्ञों और राजनीतिक दलों की प्रतिक्रिया मिली-जुली रही है।

ई-वोटिंग क्या है?
ई-वोटिंग यानी इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग एक ऐसी प्रणाली है जिसमें मतदाता इंटरनेट या मोबाइल एप्लिकेशन के माध्यम से अपना मत डाल सकते हैं। इसमें मतदाता को मतदान केंद्र पर physically उपस्थित होने की आवश्यकता नहीं होती।
बिहार चुनाव में यह तकनीक खासकर बाहर रहने वाले प्रवासी मतदाताओं और बुजुर्गों के लिए उपलब्ध कराई गई थी।
बिहार चुनाव 2025 में ई-वोटिंग की शुरुआत कैसे हुई?
भारत निर्वाचन आयोग (Election Commission of India) और IIT मद्रास के सहयोग से एक रिमोट ई-वोटिंग प्रणाली विकसित की गई थी। इस तकनीक का पायलट प्रोजेक्ट बिहार के कुछ विधानसभा क्षेत्रों में लागू किया गया।
मुख्य विशेषताएँ:
OTP आधारित Authentication
फेस रिकग्निशन और Aadhaar लिंक
End-to-End एन्क्रिप्शन
फिजिकल बैलट से मिलान

ई-वोटिंग के फायदे:
1. सुविधा और समय की बचत:
जो लोग नौकरी, पढ़ाई या अन्य कारणों से अपने निर्वाचन क्षेत्र से बाहर रहते हैं, वे अब कहीं से भी वोट डाल सकते हैं।
2. मतदाता भागीदारी में वृद्धि:
ई-वोटिंग से मतदान प्रतिशत बढ़ने की संभावना है क्योंकि यह लोगों के लिए अधिक सुविधाजनक बनता है।
3. पारदर्शिता और ट्रैकिंग:
ई-वोटिंग सॉफ्टवेयर में हर प्रक्रिया ट्रैक की जा सकती है जिससे गड़बड़ी की संभावना कम होती है।
4. पर्यावरण की दृष्टि से बेहतर:
कागज़ की बचत और मतदान केंद्रों पर भीड़ कम होने से पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
चुनौतियाँ और जोखिम:
1. साइबर सिक्योरिटी का खतरा:
ई-वोटिंग को हैकिंग और डाटा चोरी जैसी समस्याओं से बचाना एक बड़ी चुनौती है।
2. डिजिटल डिवाइड:
ग्रामीण इलाकों में इंटरनेट की पहुँच और डिजिटल साक्षरता की कमी अभी भी एक बाधा है।
3. प्रामाणिकता और ट्रस्ट:
सभी राजनीतिक दल और मतदाता ई-वोटिंग प्रणाली पर अभी पूरी तरह से विश्वास नहीं कर पा रहे हैं।
4. फर्जी वोटिंग की आशंका:
यदि आधार या फेस रिकग्निशन सिस्टम में कोई कमी रह जाती है तो फर्जी वोटिंग हो सकती है।
राजनीतिक दलों की प्रतिक्रिया
बिहार के बड़े दल जैसे राजद (RJD), जेडीयू (JDU) और बीजेपी (BJP) ने ई-वोटिंग को लेकर अलग-अलग प्रतिक्रिया दी।
RJD ने इसे सैद्धांतिक रूप से अच्छा, लेकिन तकनीकी रूप से अधूरा बताया।
BJP ने इसका स्वागत करते हुए कहा कि यह “डिजिटल भारत” की दिशा में एक मजबूत कदम है।
JDU ने कहा कि इसे पूरी तरह लागू करने से पहले जनजागरूकता अभियान जरूरी है।
जनता की राय
कुछ लोगों ने इसे सराहा, खासकर युवा और प्रवासी नागरिकों ने इसे बेहतर सुविधा बताया। वहीं बुजुर्ग और ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले कई मतदाताओं को यह नई तकनीक समझने में परेशानी हुई।
क्या ई-वोटिंग है चुनाव का भविष्य?
ई-वोटिंग एक उभरती हुई तकनीक है जिसे धीरे-धीरे पूरे देश में लागू किया जा सकता है। लेकिन इसके लिए कई जरूरी शर्तें पूरी करनी होंगी:
साइबर सुरक्षा का मजबूत ढांचा
डिजिटल साक्षरता अभियान
परीक्षण और ट्रायल की पारदर्शी रिपोर्ट
सभी राजनीतिक दलों का समर्थन
निष्कर्ष:
बिहार चुनाव में ई-वोटिंग की शुरुआत एक साहसिक कदम है। यह दिखाता है कि भारत अपनी लोकतांत्रिक प्रणाली को आधुनिक बनाने के लिए तैयार है। हालाँकि इसे पूरी तरह लागू करने से पहले तकनीकी और सामाजिक दोनों तरह की चुनौतियों से निपटना जरूरी है।
यदि सरकार, तकनीकी संस्थान और चुनाव आयोग मिलकर इस प्रणाली को पारदर्शी और सुरक्षित बना पाए, तो ई-वोटिंग भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में एक क्रांतिकारी बदलाव साबित हो सकती है।
FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले सवाल):
Q1. क्या बिहार में सभी मतदाता ई-वोटिंग कर सके?
नहीं, यह केवल कुछ सीमित क्षेत्रों और विशेष वर्गों के लिए पायलट रूप में शुरू किया गया था।
Q2. क्या ई-वोटिंग पूरी तरह से सुरक्षित है?
अभी यह पूरी तरह से सुरक्षित नहीं मानी जा सकती। साइबर सुरक्षा में और सुधार की आवश्यकता है।
Q3. क्या भविष्य में सभी चुनाव ई-वोटिंग से होंगे?
संभव है, लेकिन इसके लिए चरणबद्ध तरीके से तकनीक और जनभागीदारी दोनों को मजबूत करना होगा।
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