कालरात्रि – Crime Story Episode 3 – कालरात्रि की अंतिम घड़ी

आपने अभी तक पढ़ा है – Crime Story Episode 1 दरियागंज की लाश & Episode 2 लुटियंस के साए

दिल्ली की रहस्यमयी हवाओं में मौत ने पांव पसार लिए थे। दरियागंज से शुरू हुआ हत्याओं का सिलसिला मंडी हाउस और वसंत विहार तक जा पहुंचा। हर मर्डर साइट पर मिलता था एक काला कार्ड — एक चेतावनी, एक संकेत, एक मनोवैज्ञानिक खेल।

इंस्पेक्टर राघव चौहान और डॉ. अनामिका घोष — दोनों धीरे-धीरे इस खौफनाक खेल की जड़ तक पहुंच रहे थे, जहाँ अतीत के घाव ताज़ा हो रहे थे।
ऑपरेशन शैडो — 2012 में पुलिस और मनोचिकित्सकों द्वारा शुरू किया गया एक गुप्त कार्यक्रम, जहाँ अपराधियों को जेल नहीं, बल्कि मनोवैज्ञानिक प्रयोगशाला में भेजा जाता था।

अब, उसी अतीत का एक प्रेत लौट आया था — बदले के लिए।
अनामिका अगली शिकार बन चुकी थी, और राघव को एक शर्त दी गई थी — “अगर सच्चाई कुबूल नहीं की, तो अनामिका की मौत तय है।

 

 

Crime Thriller
Crime Story

कहानी आगे जारी है…

दिल्ली पुलिस हेडक्वार्टर की छत पर खड़ा राघव, झुलसते हुए सूरज की लालिमा में कुछ ढूंढ रहा था —
…एक सुराग
…एक हिम्मत
…या शायद खुद से लड़ने की ताकत।

उसके हाथ में था वो USB, जिसमें अनामिका को बंधक बनाकर रखा गया था। वीडियो की आखिरी फ्रेम में GPS कोऑर्डिनेट्स झलकते थे:

28.4986° N, 77.1977° Eमहरौली की सीमांत पहाड़ी

Crime Story
दिल्ली पुलिस हेडक्वार्टर की छत पर खड़ा राघव

राघव अकेला महरौली पहुंचा — रात के ठीक 1:05 बजे। कोऑर्डिनेट्स एक पुराने बावड़ीनुमा क्षेत्र की ओर इशारा कर रहे थे, जो अब ASI द्वारा बंद घोषित था।

एक टूटी दीवार के पीछे से उसे एक संकरी सुरंग मिली — दीवारों पर नमी, छत से टपकता पानी और फ़र्श पर ताजे पैरों के निशान।

हर कुछ कदम पर एक टॉर्च टंगी थी — जैसे कोई उसका इंतज़ार कर रहा हो।

दीवारों पर लिखा था:

“अब तू देखेगा वो अंधेरा जो तूने दूसरों को दिखाया था।”

Delhi Crime
डॉ. अनामिका घोष Tied On Chair

सुरंग के आखिर में एक गुफा जैसी जगह खुलती है। अंदर दीवार पर एक स्क्रीन लगी थी, सामने एक कुर्सी, जिस पर बंधी थी —
डॉ. अनामिका घोष।

उसकी आँखों पर पट्टी नहीं थी अब।
वो जाग रही थी, लेकिन बेबस।

“राघव…” उसकी आवाज़ कांपती हुई आई।

राघव दौड़ा, लेकिन तभी स्पीकर में वही जानी-पहचानी आवाज़ गूंजी —

“इतनी जल्दी नहीं, इंस्पेक्टर।
पहले अपनी गवाही दे… इस कैमरे के सामने… सबके लिए।”

एक स्पॉटलाइट राघव पर पड़ी। उसके सामने रखा गया एक माइक और कैमरा।
अब या तो वो सच्चाई बोले… या अनामिका मरे।

राघव ने गहरी सांस ली और कहना शुरू किया:

“2012 में, ऑपरेशन शैडो के तहत हमने 5 अपराधियों को जेल से निकालकर गुप्त स्थान पर रखा। उनमें से एक… Subject X-91, मानसिक रूप से बहुत अस्थिर था।

उसने हमसे सहयोग मांगा, लेकिन विभागीय दबाव में… मैंने उसे इंसानी प्रयोग का हिस्सा बना दिया। हमने दवाइयों, हिप्नोसिस और साइलेंस आइसोलेशन जैसी तकनीकों का इस्तेमाल किया।

एक रात… X-91 ने आत्महत्या करने की कोशिश की। तब मैंने उसे ‘डेड’ घोषित करवाकर फाइल बंद कर दी।

लेकिन वो मरा नहीं था। मैंने उसे ज़िंदा दफन कर दिया… अपने प्रमोशन के लिए।

और आज… वही लौटा है।”

कैमरा बंद होते ही धीमे कदमों की आवाज़ आने लगी।

अंधेरे से निकला एक शख्स — लंबा, सूखा, चेहरे पर खाल सिली हुई सी — जैसे मौत ने उसे चाटा हो।

“नाम याद है मेरा?” उसने कहा।

राघव की आँखों में डर उभरा —
कबीर।

कबीर सिंह, वही Subject X-91, जिसने कभी कॉलेज में 3 स्टूडेंट्स को मार डाला था। लेकिन उसके अंदर सिर्फ एक अपराधी नहीं — एक मानसिक प्रयोग का शिकार, एक अधूरी इंसानियत थी।

“तूने मुझे मारा नहीं राघव…
तुझे लगा मैं मिट जाऊंगा?
मैं मिटा नहीं… मैं बदल गया।”

कबीर ने अनामिका की कुर्सी के नीचे पेट्रोल गिराना शुरू कर दिया।

“या तो तू खुद को गोली मार…
या मैं इसे आग में झोंक दूं।”

राघव के पास चॉइस नहीं थी — लेकिन दिमाग तेज़ी से काम कर रहा था। उसने धीमे हाथ से जेब से एक स्प्रे निकाला — जो उसने सीबीआई ट्रेनिंग के दौरान सीखा था — टेम्पररी ब्लाइंडनेस स्प्रे।

वो कबीर की ओर बढ़ा — और अचानक उसकी आंखों पर छिड़क दिया।

कबीर चीखा, “आँखें… आग…”

राघव ने दौड़कर अनामिका की रस्सियाँ खोलीं और उसे बाहर की ओर खींचा।

कबीर अब भी अंधेरे में चिल्ला रहा था —
“तुम सब झूठे हो… मैं सब खत्म कर दूंगा!”

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जैसे ही वे बाहर निकले, अंदर से आग की लपटें उठीं — कबीर ने खुद पेट्रोल में आग लगा ली थी।
वो खुद को ही मिटा रहा था —
या शायद उस पुराने सिस्टम को, जिसने उसे जन्म दिया।

बाहर पुलिस पहुंच चुकी थी।
राघव और अनामिका ज़िंदा थे — लेकिन भीतर से झुलसे हुए।

“एक महीना बाद”

राघव ने स्वैच्छिक रिटायरमेंट ले लिया।
अनामिका अब ऑपरेशन शैडो जैसे किसी भी गैर-कानूनी प्रोजेक्ट के विरुद्ध एक एक्टिविस्ट बन चुकी थी।

ब्लैक नोट केस बंद हो चुका था।

लेकिन एक दिन अनामिका को एक पार्सल मिला।
अंदर एक ब्लैक कार्ड:

“सिस्टम खत्म नहीं होता, सिर्फ चेहरे बदलते हैं।”

अंतिम प्रश्न…

  • क्या कबीर सच में मर गया?

  • क्या ऑपरेशन शैडो अब भी कहीं चल रहा है?

  • और अगला ब्लैक नोट किसे मिलेगा?

🎭 “कालरात्रि” समाप्त

लेकिन… अंत हमेशा अंत नहीं होता।

अगर आप इस एपिसोड का सीज़न 2 पढ़ना चाहते हैं तो मुझे कमेंट करें

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