Thriller
Crime Story | एपिसोड 1: दरियागंज की लाश
दिल्ली की सर्द भोर, जब हवा में कुहरे का घूंघट लिपटा था, दरियागंज की तंग गलियों में एक सनसनीखेज़ खबर आग की तरह फैल रही थी — “पुरानी हवेली में मिली जली हुई लाश।”
गली नंबर 7, मजार के पास स्थित वो हवेली वर्षों से वीरान थी। लोगों ने वहां किसी को आते-जाते नहीं देखा। लेकिन उस दिन सुबह 4:15 पर मोहल्ले के कूड़ेवाले बच्चे ने अंदर से आती तेज़ बदबू और धुंए को देखा, और पुलिस को खबर दी।
इंस्पेक्टर राघव चौहान, दिल्ली पुलिस का तेज़-तर्रार लेकिन अकेला अफसर, मौके पर 4:45 पर पहुंचा। ऊँचा कद, चेहरे पर पुरानी चोट का हल्का निशान, और निगाहें जो अपराधी की आत्मा को भेद सकती थीं।
“कितनी बार कहा है, सबूतों से पहले भीड़ को दूर रखो,” राघव ने पहली ही नजर में गार्ड से कहा।
हवेली की हालत ऐसी थी कि दीवारें जैसे इतिहास की गवाही दे रही हों — फटी तस्वीरें, टूटी खिड़कियाँ और एक टूटा झूमर जो छत से लटक रहा था।
लेकिन कमरे के बीच में पड़ी वो जली हुई लाश — एकदम अलग थी।
लाश बुरी तरह जली थी, लेकिन पास में पड़ा एक काला कागज़ ध्यान खींच रहा था।
सामान्य पेपर नहीं — ब्लैक मैट फिनिश कार्ड।
उस पर केवल दो शब्द थे —
“तू अगला है।”
राघव ने दस्ताने पहनकर कागज़ उठाया, और फौरेंसिक टीम को बुलाया।
“सर,” कॉन्स्टेबल मोहित बोला, “ये तो पूरी तरह से प्लांड मर्डर लग रहा है।”
राघव ने कमरे को गौर से देखा —
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कोई खून नहीं
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जली हुई लकड़ी और मिट्टी के तेल की गंध
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पीछे की खिड़की खुली थी
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और कैमरे? बिल्कुल नहीं
“मोहित,” राघव बोला, “सीसीटीवी फीड मंगवाओ — मजार से लेकर बाहर की चौकी तक। और आसपास पूछताछ शुरू करो — कोई तो कुछ जानता होगा।”

एम्स में पोस्टमार्टम के बाद पता चला कि शव अविनाश मलिक का था — उम्र 38, पेशा: बैंक मैनेजर। लाश पर जलने के अलावा एक अजीब बात थी — उसके मुँह में एक नीला रुमाल ठूंसा गया था। Crime Story
फोन रिकॉर्ड्स से पता चला कि अंतिम कॉल रात 12:37 बजे एक अनजान नंबर से आया था।
और दिलचस्प बात — उसके घरवालों ने उसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट अगले दिन सुबह 8 बजे ही लिखवाई थी, जो साफ़ करता था कि रात को किसी ने उसे चुपचाप बुलाया और मार डाला।
डॉ. अनामिका घोष, एम्स की अनुभवी मनोचिकित्सक, पुलिस मामलों में बतौर सलाहकार राघव के पुराने संपर्क में थीं। राघव ने उन्हें बुलाया।
“ये कोई आम हत्यारा नहीं है,” अनामिका ने ब्लैक नोट को देखकर कहा।
“ये अपराधी संदेश छोड़ता है — यानी वो चाहता है कि अगला डर से कांपे।”
राघव ने पूछा, “क्या ये सीरियल किलर हो सकता है?”
“संभव है,” अनामिका बोलीं, “अगर अगला शिकार भी मिला तो पैटर्न साफ़ हो जाएगा।”
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Crime Story
राघव ने उस रात थाने में पुरानी फाइलें खंगालना शुरू कीं। 2012 में एक केस हुआ था — तीन हत्याएं, सबके पास ब्लैक कार्ड मिले थे। केस कभी सुलझा नहीं। A Delhi Crime
उस केस में भी कार्ड पर सिर्फ एक लाइन लिखी होती थी —
“किसी ने तुझे देखा नहीं, पर तू देख लिया गया।”
राघव की आंखें ठिठक गईं।
“क्या वही हत्यारा लौट आया है?”
दूसरा शिकार: मंडी हाउस का रहस्य
अगली रात 9:15 पर कॉल आया।
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“सर, मंडी हाउस के पास एक गाड़ी में शव मिला है।”
राघव और अनामिका तुरंत मौके पर पहुंचे। एक नीली हुंडई कार, अंदर एक व्यक्ति की लाश — नाम अरुण खन्ना, पेशा: रियल एस्टेट एजेंट।
वही काला नोट —
“तेरा नंबर अब आया।”
इस बार कार्ड के नीचे एक कोड लिखा था:
“KX/1091”
अनामिका ने कहा, “ये कोड कुछ जगह, दस्तावेज़ या समय को दर्शा सकता है।”
राघव ने चुपचाप कार्ड अपने पास रखा। “अब ये निजी हो गया है,” उसने कहा। A perfect thriller story

राघव को अपनी गाड़ी के विंडशील्ड पर एक लिफाफा मिला।
उसमें एक ब्लैक कार्ड था —
“तू अगला है — राघव।”
राघव के चेहरे पर पहली बार एक झटका दिखाई दिया। अनामिका ने चुपचाप उसका कंधा थामा।
“खेल शुरू हो चुका है, राघव। अब ये तुझे खत्म या खोल कर रहेगा।”
क्या अगला शिकार इंस्पेक्टर राघव होगा?
ब्लैक नोट और कोड का रहस्य क्या है?
अनामिका का अतीत क्या छुपा रहा है?
🔜 जाने अगले एपिसोड में: “लुटियन्स के साए”
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